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इंदिरा सागर बांध के बैैक वाटर में नाव चला कर तैराकी सिखने वाली कावेरी बनी नेवी में ऑफिसर,

हौसले बुलंद हो तो सफलता मिलती है पिता का कर्ज दूर कर कावेरी ने 50 से अधिक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मेडल जीत खंडवा का नाम रोशन किया,

एडिटर/संपादक:-तनीश गुप्ता,खण्डवा

इंदिरा सागर बांध के बैैक वाटर में नाव चला कर तैराकी सिखने वाली कावेरी बनी नेवी में ऑफिसर,

हौसले बुलंद हो तो सफलता मिलती है पिता का कर्ज दूर कर कावेरी ने 50 से अधिक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मेडल जीत खंडवा का नाम रोशन किया,

गांव पहुंचने पर कावेरी का हुआ जोरदार स्वागत, सिंगाजी में परिजनों ने किया तुलादान,

खंडवा ।। जिले में हर विधा में प्रतिभाओं की कमी नहीं है प्रतिभाएं अपने हुनर के माध्यम से लगातार आगे बढ़कर खंडवा का नाम देश-विदेश में रोशन कर रही है, गरीबी में पिता का कर्ज उतारने के लिए नाव चला कर मछली पकड़ने वाली कावेरी तैराकी विदेशी खेल केनोइंग में इतना परिपक्व हुई की देश और अंतरराष्ट्रीय के कई मेडल प्राप्त कर इंडियन नेवी में सिंगाजी महाराज के आशीर्वाद से कावेरी का सिलेक्शन हो गया, समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि नेवी में सिलेक्शन होने के बाद जब अपने गांव पहुंची तो गांव वालों ने जोरदार स्वागत किया खंडवा में बने इंदिरा सागर बांध के बैकवॉटर में अपने पिता का कर्ज उतारने के लिए नाव चला कर मछली पकड़ने वाली कावेरी ढीमर इंडियन नेवी में सेलेक्ट होकर पहली बार अपने घर लौटी तो गांव वालों ने उसका जोरदार स्वागत किया, साथ ही कावेरी अपने परिवार के साथ हाथों में निशान लेकर सिंगाजी दर्शन करने पहुंची जहां उसका तुलादान किया गया, समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि दरअसल बांध के पानी देख वाटर में कावेरी को नाव चलाते देख तत्कालीन स्पोर्ट्स ऑफिसर ने उसे कैनोइंग गेम्स में ट्रेनिंग लेने के लिए वाटर स्पोर्ट अकादमी भोपाल पहुंचा दिया । उसके बाद कावेरी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कैनोइंग गेम्स में उसने नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर 45 से ज्यादा मेडल जीते। पिछले साल स्पोर्ट्स कोटे में उसका इंडियन नेवी में सिलेक्शन हो गया। नेवी में सिलेक्ट होने के बाद पहली बार वह अपने गांव पहुंची थी।खंडवा जिले के सिंगाजी गांव में नाव चला कर पिता के साथ मछली पकड़ने वाली कावेरी डिमर की कहानी 2016 में शुरू हुई। खंडवा जिले के तत्कालीन स्पोर्ट्स ऑफिसर जोसेफ बक्सला ने उसे नाव चलाते हुए पहली बार देखा तो कावेरी और उसकी दो अन्य बहनों को वाटर स्पोर्ट्स अकादमी भोपाल में भेज दिया। भोपाल अकादमी में विदेशी खेल कैनोइंग में कावेरी ने महारत हासिल की। सुनील जैन ने बताया कि कावेरी ने मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई।कावेरी ने एशियन चैंपियनशीप थाइलैंड में ब्रांज मेडल, एशियन गेम चाइना, वर्ल्ड चैंपियनशीप जर्मनी, एशियन चैंपियनशीप एंड ओलंपिक क्वालिफायर जापन, एशियन चैंपियनशीप उजबिकीस्तान, यू-23 एशियन चैंपियनशीप थाईलेंड में भी हिस्सा लिया। नेशनल चैंपियनशीप में 45 गोल्ड, 6 सिल्वर व 3 ब्रांज मेडल जीते। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उसे 11 लाख रुपए का इनाम दिया था। कावेरी का बचपन गरीबी में बीता। यही नहीं पिता के बिछाए जाल से मछलियां भी बिनती थी । पिता का 40 हजार रुपए का कर्ज उतारने के लिए कावेरी बैकवाटर में नाव चलाने लगी। पिता रात में जाल बिछाते तीनों बहनें सुबह जाकर जाल से मछली निकालती और ठेकेदार को दें आती। ऐसा रोजाना कर उन्होंने पिता का कर्ज उतारने में मदद की। छोटी सी उम्र में न सिर्फ अपने पिता के कर्ज को दूर किया, बल्कि परिवार का पालन पोषण भी किया। नाव चलाने में महारत हासिल होने के कारण ही वॉटर स्पोर्ट्स अकादमी भोपाल में उसका चयन हो गया। इंडियन नेवी ज्वाइन करने के बाद पहली बार जब बेटी घर लौटी तो माता-पिता को यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी बेटी इस मुकाम पर पहुंच गई। माता-पिता ने बेटी को तिलक लगाकर सम्मान किया ग्रामीणों ने भी कावेरी की कामयाबी पर बधाई दी और सम्मान भी किया। मां ने कहा बेटी ने हमारा कर्ज उतार दिया तो पिता ने कहा वह पढ़ाई के साथ-साथ मेरा सहयोग भी करती थी। कावेरी वर्तमान में नेवी के स्पोर्ट्स कोटे के चलते भोपाल में पदस्थ है।

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